Best Bhoot Ki Kahani in Hindi. भूत की कहानी।
Bhoot ki kahani सुनने में किसे अच्छा नहीं लगता अगर आप भी Bhoot ki kahani को सुनना चाहते हैं तो बिल्कुल सही जगह पर आए हैं क्योंकि आज मैं आपके लिए बहुत ही अच्छी भूत की कहानी लेकर आया हूं जोकि बहुत डरावनी है।
अगर आप एक डरपोक किस्म के आदमी हो तो आप हमारे इस Bhoot ki kahani को नहीं पढे वरना शायद अब बहुत अधिक डर जाएंगे और आप रात को सोने नहीं पाएंगे इसलिए आप पूरी मजबूती के साथ इस कहानी को पढ़ना।
Bhoot ki kahani no 1
“भटकती हुई चुड़ैल की आत्मा”
बहुत वर्षों पहले की बात है, एक गांव था जिसका नाम चंदन पुर हुआ करता था, वह गांव बहुत ही सुखी संपन्न था और वहां पर एक लड़की रहा करती थी, जिसका नाम रानी था।
रानी बहुत ही गरीब परिवार से थी , उस गांव में लगभग सभी लोग अमीर थे कुछ लोग ही गरीब थे जिनमें से रानी भी थी।
रानी के परिवार मिट्टी के घड़े बनाकर गांव गांव जाकर बेचा करते थे, धीरे-धीरे समय बीतता गया और रानी शादी करने के योग हो गई, उसके परिवार वाले ने सोचा कि अब वे रानी का विवाह कर देंगे किसी अच्छे लड़के को ढूंढ कर।
रानी के पिता श्री मटिया लाल जी अपने पड़ोस के गांव रानी के लिए लड़का ढूंढने के लिए गए और उन्हें एक सुखी संपन्न परिवार के बारे में पता चला रानी के पिता ने अपनी बेटी का विवाह का प्रस्ताव उस परिवार के समक्ष रखा।
वह परिवार कुंदनपुर गांव के थे, वे एक मध्यम वर्ग परिवार थे उन्होंने रानी के पिता से बहुत ही मोटी रकम का दहेज मांगा रानी के पिता ने अच्छा रिश्ता सोच कर दहेज के लिए तैयार हो गए परंतु उन्होंने दहेज की रकम को किस्तों में करके देने के लिए कहा।

और वे उनकी दहेज के किस्तों को 2 वर्षों में पूरा करते जिसमें कि वह शादी के बाद भी दहेज के किस्तों को पहुंचाते रहते।
(रानी के पिता ने अपने इस कार्य को अपने पूरे परिवार से छुपा कर रखा और उन्होंने सोचा कि वह स्वयं किस्तों को चुका देंगे।)
तो उस परिवार ने पहले तो ना कहा फिर रिश्ते के लिए तैयार हो गए उसके बाद रानी का विवाह उस परिवार के सबसे बड़े बेटे ललन राम जी के साथ हो गया।

विवाह के कुछ दिन बाद तक रानी के पिता अपने किस्तों की रकम पहुंचा दिया करते थे तभी अचानक रानी के पिता का अकाल मृत्यु हो गई, जिसके चलते अब रानी के ससुराल वालों को दहेज का पूरा पैसा ना मिल सका जिसके चलते रानी के ससुराल वालों ने रानी को दहेज के लिए प्रताड़ित करना चालू कर दिया।
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रानी बहुत परेशान हो गई थी कुछ ही दिन बाद रानी ने बहुत अधिक अपने ससुराल वालों से तंग आकर आत्महत्या कर ली।
रानी के ससुराल वालों ने रानी के शव को अपने पिछवाड़े वाले खेत में छुपाकर गाड़ दिया ताकि किसी को पता ना चले और उसका अंतिम संस्कार भी नहीं किया।
जिसके बाद अब रानी की आत्मा को शांति ना मिले उसके बाद वह एक भटकती हुई आत्मा बन गई और वह अपने ही ससुराल वालों को एक-एक करके मृत्यु के घाट उतारने लगी किसी को छत से धक्का देकर, तो किसी को सीढ़ियों से धक्का देकर, तो किसी को बिजली के करंट से, उसने अपना बदला पूरा कर लिया।
परंतु उसकी आत्मा को शांति तब भी ना मिली क्योंकि उसके पार्थिव शरीर का अभी तक अंतिम संस्कार नहीं हुआ था उसके बाद रानी उन सभी लड़कियों के घर अपने आप पहुंच जाती है जिन्हें दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता है और उन दहेज के लोभियों को सबक सिखाती है और जो नहीं मानते हैं उन्हें मौत के घाट उतार देती है।
आज भी रानी की आत्मा यूं ही भटकती रहती है। और वह आज भी दहेज के लोभी ओ को खोजती है।

Bhoot ki kahani नंबर 2.
“राजकोष का रक्षक भूत”
1422 ईस्वी में एक मुस्लिम जमींदार हुआ करते थे जिनका नाम युसूफ मलिक खान था, वे तब के मगध और आज के उत्तर प्रदेश के लते पुर गांव के रहने वाले थे।
वे उस समय के राजा के राजकोष रक्षक के अध्यक्ष थे उन्हें राजकोष की रक्षा के लिए प्रस्ताव रखने के लिए कहा गया क्योंकि उस समय उनकी राज्य पर किसी और राजा ने आक्रमण करने की तैयारी कर चुका था।
तभी राजा ने राजकोष के रक्षा के लिए एक विशेष प्रकार का जमीन के अंदर खंडहर जैसी गुफा बनाई और उस गुफा में अपने सारे राजकोष के धन को एकत्रित करके छुपा दिया और राजकोष के रक्षा करने के लिए वहां पर युसूफ मलिक खान जो कि वहां के जमींदार थे उन्हें उसकी पूरी दायित्व दे दिया।
युसूफ खान अपनी राजा की आज्ञा अनुसार दिन रात एक सैनिक के टुकड़ों के साथ अपने राज्य के राजकोष की रक्षा करने लगा।
2 महीने बाद युसूफ खान के राज्य के राजा का युद्ध में देहांत हो गया अर्थात उनके राजा पराजित हो गए उसके बाद जिस राजा ने वहां के राजा को हराया था वह उनके खजाना को लूटने के लिए आगे बढ़ने लगा परंतु उसे पता नहीं था कि खजाना कहां है।
तभी उसने उसी राज्य के एक मंत्री को मौत की धमकी देकर खजाने का पता लगा लिया उसके बाद युसूफ मलिक खान ने अपने राज्य के राजकोष की रक्षा के लिए पूरे डटकर खड़े हो गए।
तभी उस राजा ने युसूफ मलिक खान के सेना को टुकड़ी को पराजित करते हुए आगे बढ़ने लगा जब युसूफ मलिक खान को लगा कि अब उसका खजाना सुरक्षित नहीं है तो उसने अपने गुफा नुमा जमीन के अंदर बनाई गई महल को तोड़ने लगा।

युसूफ मलिक खान ने उस गुफा के सभी मुख्य स्तंभों को तोड़ दिया जिससे कि वह गुफा उनके ऊपर ही गिर पड़े और जमीन का एक बड़ा भूभाग उसके अंदर चला गया जिसमें कि उस राजा की भी मृत्यु हो गई और खजाना के पास ही युसूफ मलिक खान का भी मृत्यु हो गई।
युसूफ मलिक खान की मृत्यु अत्यंत गहराई में हुई और वह बहुत ही अधिक तड़प तड़प कर मारे जिसके चलते उनके आत्मा की शांति नहीं हुई और वह आज भी वहां पर कैद है और उस खजाना की रक्षा करते हैं।
अगर कोई भी व्यक्ति उस खजाने तक पहुंच भी जाता है तो वह वहां से कभी भी वापस नहीं आता युसूफ मलिक खान की आत्मा या हम कहे उनकी भूत जो भी व्यक्ति वहां पहुंचता है उसे मारकर खा जाती है।
बहुत वर्ष इसी प्रकार से बीतने लगे लोगों को पता था कि हर राजकोष है मगर युसूफ मलिक खान की भूत की के चलते लोग वहां के आसपास सभी भटकने से डरते थे तभी एक इतिहासकार 1628 ईसवी में इसके बारे में लिखा।
तभी वहां के तत्काल राजा ने इस जानकारी को प्राप्त करके वहां पर एक विशेष दल को भेजा कि वे उस जगह की खुदाई करें और वहां से राजकोष निकाल ले।
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लगभग लगभग 200 मजदूर उस जगह पर गए हैं और वह अपने राजा के कथन अनुसार वहां पर खुदाई करना चालू किया तभी वहां से एक जहरीली गैस निकली और वे 200 मरीज वहीं पर तड़प के मर गए।
कुछ ही समय बाद जब बचाव दल वहां पहुंची तो दूर से ही देखा कि वहां सभी मजदूर में पड़े थे और जब वह सामने आए तो उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था मगर वे राजकोष से बहुत दूर थे जिसके चलते हुए उनकी मृत्यु तो नहीं हुई परंतु उन्हें कोई भी मजदूर का शव तक नहीं मिला।
अबे मजदूर भी उस राजकोष के रक्षक के सेना की टुकड़ी बन गए और उनका राजा युसूफ मलिक खान है अब युसूफ मलिक खान वहां पर जो भी आता है उसे मार कर उसे अपना दास बना लेता है।
Conclusion.
दोस्तों मुझे पूरा आशा है कि आप को हमारी
Bhoot ki kahani पसंद आई होगी, अगर आपको और भी अधिक Bhoot ki kahani सुनने हैं तो आप हमें कमेंट करके अवश्य बताएं ताकि हम आपके लिए और अधिक भूतों की कहानी लेकर आए।
और अगर आपका कोई दोस्त Bhoot ki kahani सुनना पसंद करता है तो आप अपने दोस्तों के साथ इस कहानी को शेयर जरूर करें।
“धन्यवाद”