Jadui machli ki kahani in Hindi. (जादुई मछली की कहानी।)
दोस्तों अगर आप भी कहानी सुनने के शौकीन है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं क्योंकि आज मैं आपके लिए एक और नया कहानी जिसका शीर्षक है “जादुई मछली की कहानी” को लेकर आया हूं आपके लिए।
दोस्तों यह कहानी बिहार की एक लोक प्रिय कहानी है जो कि वहां के दादी और नानी के द्वारा अपने पोते नाती को सुनाया करती थी आज वही “जादुई मछली की कहानी “सुनाने के लिए मैं आपके पास आया हूं।
Jadui machli ki kahani.”जादुई मछली की कहानी”
बहुत समय पहले एक गांव था जिसका नाम मोहनपुर था , उस गांव में दो गरीब मछुआरा रहा करता था वह अपना जीवन यापन मछली पकड़ कर उसे बाजार में बेचकर किया करता था।
एक मछुआरा का नाम शांतनु राम था और दूसरे का नाम कृपालु नाथ था दोनों बहुत गरीब थे। कृपालु नाथ थोड़ा बुद्धिमान था वही शांतनु राम एक सामान्य व्यक्ति की तरह था।
जिस दिन ज्यादा मछलियां पकड़ा जाती थी वह इस दिन अच्छे से अपना परिवार का भरण पोषण कर पाते थे उनके जीवन में कोई कोई ऐसा दिन भी होता था जिस दिन उन्हें बिना खाए पिए भी रहना पड़ता था।
इसी प्रकार उनकी जीवन यापन चल रही थी दोनों मछुआरे प्रतिदिन मछली पकड़ने जाते और जो भी मछली पकड़ते इसे बाजार में बेचा ते और अपने परिवार के लिए राशन इत्यादि को लेकर आना आते।

इसी प्रकार समय बीतता गया, तभी लगातार कुछ दिनों से बारिश होने लगी बारिश के कारण मछुआरे मछली पकड़ने नहीं जा सकते थे जिससे उन्हें कई दिनों तक भूखे भी रहने पड रहा था और जब तक बारिश खत्म हुई तब तक नदी में बाढ़ आ चुकी थी।
बाढ़ आने की वजह से नदी के मछली जहां-तहां भटक चुके थे जिससे मछुआरे जब मछली पकड़ने जाते थे तो उन्हें मछली बहुत कम ही मिलती थी अब दोनों बहुत दुखी रहने लगे थे क्योंकि उनके परिवार को अब वे ठीक से दो वक्त का खाना भी नहीं दे पा रहे थे।
तभी उन्होंने विचार किया कि इस स्थान को छोड़कर कहीं और जाएंगे मछली पकड़ने के लिए और तभी दोनों मछुआरे ने मिलकर जंगल की तरफ चले गए उन्होंने सोचा कि जंगल के भीतर जो तालाब है हम उस तालाब में मछली पकड़ेंगे।
उन्होंने एक साथ मछली पकड़ने का योजना इसलिए बनाया क्योंकि जंगल में बहुत सारे जंगली जानवर भी रहते हैं अगर वह दो व्यक्ति रहेंगे तो उन्हें उन जानवरों से डरने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ेगी तभी वह सावधानीपूर्वक जंगल के तालाब में चले गए।
दोनों मछुआरे एक साथ एक ही जाल में मछली पकड़ने के लिए जाल डाल दिया उन्होंने सोचा जो भी मछली पकड़ा जाएगा उसे दो भागों में वे दोनों बांट लेंगे। तभी उन्होंने तालाब में जाल को बिछा दिया परंतु उनके जाल में बहुत समय से एक भी मछली नहीं फंसी थी।
दोनों मछुआरे सोचने लगे जिस दिक्कत को खत्म करने के लिए हम यहां पर आए थे वह तो हो ही नहीं रही है अब हम करें तो क्या करें तभी अचानक मछुआरे के जाल में एक बहुत ही सुंदर मछली पकड़ी गईं।
तभी शांतनु राम ने कहा कृपाल नाथ से भाई यह मछली तो बहुत ही सुनहरी है सुंदर है आज से पहले मैंने कितनी सुंदर मछली नहीं देखी कृपालु नाथ कृपालु नाथ के मन में भी यही प्रश्न चल रहा था तभी अचानक मछली बोल पड़ी !
“ओ मछुआरे भाइयों आप मुझे छोड़ दो मैं इस तालाब की मछलियों की रानी हूं , भगवान की कृपा से मेरे अंदर ज्ञान की सागर है मैं आप दोनों को अपने स्वतंत्रता के बदले एक ऐसा ज्ञान दूंगी कि आपकी दरिद्रता दूर हो जाएगी, या फिर मैं तुम्हें 50 मछलियां दूंगी ।”
शांतनु राम ने कहा- कि ऐसा कौन सा ज्ञान तुम मुझे दोगी जिससे मैं ज्ञानी बन जाऊंगा। और मारे मेरे सारे दरिद्रता दूर हो जाएंगे मुझे तुम पर विश्वास नहीं है।
अगर तुम मुझे अपनी स्वतंत्रता के बदले 50 मछलियां दोगी तो मैं तुम्हें आजाद कर दूंगा।
जादुई मछली ने कहा- ठीक है, मैं तुम्हें अपने स्वतंत्रता के बदले 50 मछलियां देने के लिए तैयार हूं।
तभी कृपालु नाथ ने सोचा- क्यों ना मैं इससे वह ज्ञान ही ले लूं जिससे कि मेरी दरिद्रता दूर हो जाए अगर इस मछली की बोली गई बात झूठ हुई तो मुझे बस 50 मछलियां कि नुकसान ही होगा।
अगर मैप इससे 50 मछलियां ले भी लेता हूं तो मैं अपने परिवार के लिए ज्यादा से ज्यादा 2 से 3 दिन का राशन उपलब्ध करा पाऊंगा अगर वास्तव में इसके पास कोई ऐसी ज्ञान है जो मैं इस से ले लूं तो मेरी दरिद्रता दूर हो जाए।
सब कुछ सोचने के बाद कृपालु नाथ ने जादुई मछली से कहा- “वो जादुई मछली तुम मुझे अपना वह जादुई ज्ञान दे दे जिससे कि मैं अपनी दरिद्रता को दूर कर लूं।”
जादुई मछली ने कहा-मैं तुम दोनों को अपने स्वतंत्रता के बदले तुम्हारे मन मुताबिक चीजें देने के लिए तैयार हूं।

सबसे पहले जादुई मछली ने शांतनु राम को अपने स्वतंत्रता के बदले 50 मछलियां दे दिया।
50 मछलियां मिलते हैं शांतनु राम की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा वह फटाफट अपनी 50 मछलियों को अपने बोरे में भरने लगा, और फटाफट भरकर कृपालु नाथ को वहीं छोड़कर दौड़ता हुआ शहर की तरफ जाने लगा।
तब कृपालु नाथ ने कहा- एक जादुई मछली मुझे तू अपना वह ज्ञान दे दें जिससे कि मैं अपनी दरिद्रता दूर कर लूं।
तभी जादुई मछली ने- कृपालु नाथ को एक जादुई कंबल दिया और उसे एक मंत्रोच्चारण का ज्ञान दिया जिससे कि वह उस कंबल को बिठाकर उस मंत्र उच्चारण को सूर्य के किरणों के सामने उच्चारित करेगा तो वह जो वस्तुएं मांगेगा वहां उसको जादू रूप में मिल जाएगा।
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तभी कृपालु नाथ ने कहा- ठीक है पहले मैं इस मंत्रोच्चारण का प्रयोग करके देख लेना चाहता हूं तभी उसने इस मंत्रोच्चारण का प्रयोग किया और वास्तव में वही हुआ।
तब कृपालु नाथ ने उस मछली को तालाब में छोड़ दिया और खुशी-खुशी अपने घर वापस आ गया और उसने उस कंबल के मदद से अपनी सारी दरिद्रता को दूर कर दिया।
वही शांतनु राम आज भी हर रोज की तरह अपने वही कार्य को प्रतिदिन कर रहा है और दरिद्रता में ही जी रहा है अर्थात गरीबी में ही जी रहा है।
सीख (Moral values)
-दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें कभी कभी अपने जीवन में निर्भय होकर तुरंत फायदे को ना देखते हुए भविष्य के फायदे को देखते हुए भी निर्णय लेना चाहिए ।
अर्थात
कभी-कभी अपने जीवन में हमें risk उठाकर कोई निर्णय लेना चाहिए जैसे कि कृपालु नाथ ने लिया अगर वह उन 50 मछलियों का मुंह देखता तो वह भी आज शांतनु राम की तरह गरीब रह जाता।
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Conclusion.
दोस्तों हमें पूरा आशा है कि आप को हमारा जादुई मछली की कहानी पसंद आई होगी अगर आप इसी प्रकार के और अधिक कहानियां सुनने चाहते हैं तो आप हमें कमेंट करके जरूर कहें कि हम आपको और कौन सी कहानियां बताएं।
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“धन्यवाद”